Tuesday, July 29, 2014

आज कल मोहब्बत फेक हैं

                 आज कल मोहब्बत फेक हैं, क्यूंकि आज की मोहब्बत फेसबुक और व्हाट्सअप हो गई हैं l यहाँ रोज नित नए चेहरों से मुलाक़ात हो जाती हैं धीरे - धीरे दोस्ती और फिर मोहब्बत की शुरुवात हो जाती हैं l फिर नम्बरों का आदान प्रदान होता हैं और पूरी रात जाग कर मोहब्बत के पाठ पढ़े जाते हैं l वादों का सिलसिला चलने लगता हैं, साथ निभाने के की कसमें खाई जाती हैं l

              फिर धीरे धीरे रिश्तो में शक और जरूरत का नाम आ जाता हैं, और रिश्ते टूट कर चकनाचूर हो जाते हैं l फिर दोनों एक दुसरे से बात करना बंद कर देते हैं लड़का या लड़की एक दुसरे को ब्लोक कर देते हैं और फिर एक दुसरे को भूल कर और नयें के साथ शुरू हो जाते हैं l वो ही कर्म चलता हैं और मोहब्बत तमाशा बन जाती हैं l

                      कुछ सच्ची मोहब्बत करने वाले भी होते हैं उनमें कुछ शराबी तो कुछ देवदास तो कुछ शायर बन जाते हैं और कुछ इतने निराश हो जाते हैं खुद को खत्म कर लेते हैं पर ये वो होते हैं जो सच्चे दिल से प्यार करते हैं पर आज के युग में सच्ची मोहब्बत कभी किसी को रास नहीं आती हैं और यही आज का सच्च हैं किसी को हद से ज्यादा चाहना खुद को बर्बाद करने के सिवा कुछ नहीं हैं l

                  मोहब्बत पहले के जमाने में होती थी l क्यूंकि उस वक्त फेसबुक, व्हाट्सअप नहीं थे l उस वक्त चिठ्ठिया लिख कर मोहब्बत का इकरार होता था और वो प्यार दिल से निभाया जाता था पर आज कल प्यार दिल से नहीं दिमाग से चलाया जाता हैं l किसी को खोने का किसी को गम नही होता क्यूंकि सबके पास न्यू ओपोर्चुनिटी जो तैयार रहती हैं l

ये कैसी मोहब्बत हैं इस युग में कुछ दिन अपने दिल में उसे शहंशाह या रानी बनाके रखते हैं और जब वो दिल से उतर जाता हैं तो उसे गाली गलोच, उसकी बुराईयाँ और उसको बर्बाद करने की वजह ढूंडते रहते हैं l जिसके लिए कभी दुआ में हाथ उठते हैं उसी के लिए बर्बादी के सपने देखने लगते हैं l यही हैं आज की मोहब्बत और आज का दर्द - ए - इश्क l

            आजकल मोहब्बत मजाक हैं कर तो सभी लेते हैं निभाने के लिए वक्त किसी के पास नही हैं कोई दो पल साथ नहीं चल पाता क्यूंकि सबको मोहब्बत नहीं टाइमपास चाहिए l कोई अगर किसी से सच्चा प्यार करने तो उसकी मोहब्बत का मजाक बना दिया जाता हैं l अरे किसी से रिश्ता नहीं निभाओ तो कोई बात नहीं पर उसे घुटन भरी जिन्दगी देने की इजाजत किसने दी हैं अरे कभी उसी की ख़ुशी के लिए आप सब कुछ करने को तैयार होते हो और आज वो रोता हैं तो कोई फर्क नही पड़ता l क्या यही हैं मोहब्बत ?

            पर सही मायनें में तो मोह्ब्ब्त वो शब्द हैं जिसको आज तक परिभाषित नहीं कर पाया l जिसमें किसी को नजरों में बसाते हैं सीधा दिल में उतारने के लिए l जिसमे जरूरत शब्द नहीं आता l जिसमें पैसा और हवस जैसे शब्द दूर दूर तक नजर नहीं आते हैं और शक जैसा शब्द मन में भी नहीं आता और आ भी जाएँ तो उसे दूर करने के लिए खुद को समझाया जाता हैं l मोहब्बत खुदा हैं कोई क्रिकेट या कैंडी क्रश का गेम नहीं हैं की जब तक मन किया खेला और जब उभ गए तो बंद कर दिया l

            पहले दो अजनबी मिलते हैं फिर बातें होती हैं अजनबी से दोस्ती का रिश्ता शुरू होता हैं फिर एक दुसरे की पसंद ना पसंद को जाना जाता हैं फिर धीरे - धीरे मोहब्बत हो जाती हैं पर फिर क्या ? मोहब्बत के बाद क्या ? अगर मोहब्बत चली तो जिन्दगी भर साथ निभाया और मोहब्बत खत्म हुई तो फिर वही शुरुवात में आकर फिर अजनबी बन गए l क्या इसी का नाम मोहब्बत हैं ?

•√ सच्ची मोहब्बत वालों के लिए :-
-------------------------------------------

            किसी से मोहब्बत करों तो निभाने के लिए करों ना की मनोरंजन के लिए l शायद तुम उसे छोड़कर खुश रह सको, पर उसकी जिन्दगी में घुटन और तन्हाई और जो तड़फ होगी उसकी वजह सिर्फ और सिर्फ तुम रहोगे l इसलिए अपनी ख़ुशी के लिए दूसरों की ख़ुशी तबाह करना ये इंसानियत नही हैं..

•√ टाइमपास मोहब्बत वालों के लिए :-
-------------------------------------------------

          जितना टाइम पास किसी के साथ करना हैं कर लो एक दिन आप खुद सबके लिए टाइमपास बन जाओगे l और उस दिन समझ आएगा मोहब्बत क्या हैं l

•√
वाह री मोहब्बत तेरे अजब गजब खेल निराले,
जिनको मिल जाएँ मोहब्बत वो किस्मत वाले,
और जिनको मिले मोहब्बत में, दर्द ए तन्हाई,
उनके हलक से नही उतरते. , रोटी के निवालें..

Wednesday, March 26, 2014

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है

डॉक्टर कुमार विश्वास जी की अब तक की सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली कविता...

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!

मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!


यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!
समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!

मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!
भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!

अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!

कुमार विश्‍वास जी की अन्य कविताओ को पढ़ने के लिए जुड़े रहें...

बदलते एहसास ......!!!!

मेरे घरों के तालो का कुछ चोर बेनागा हिसाब रखते हैं ..
ये कलयुगी बगुले हैं , हंस मारके मोती निगलने की चाह रखते हैं ...
कुछ छिछोरे व्यंग उपदेश लगते थे हमको गीता का..
कटघरों में खड़ी हैं राधाएँ आज, सब कृष्ण दोधारी नक़ाब रखते हैं...!!(27- Nov-2013)


क्या लिख डालूं की तुझे महसूस हो दर्द-ए-उलफत करीने से..
हर हर्फ का असर यूँ हो की खून निकले तेरे भी सीने से..
आके देखे मेरे बसेरे पे बसेरा आज बाजो-चीलो का है...
रोशनी खफा है मेरे आँगन से , सिर्फ़ अंधेरा झाँकता है जीने से.!!(20-Nov-2013)

बहुत देखे थे तुझ जैसे बदन को नोचने वाले...
बहुत देखे थे तुझ जैसे बदन गोरे पर दिल काले...
तेरी आयद को सबसे जुदा , था मेहरे- खुदा माना ..
फफोले पड़ गये है अब लबों पे , दिल पड़े छाले..!!!(15-Nov-2013)


फन उठाते सान्पो को आस्तीनो में छुपाया मैने..!!
अंधेरो के माथो पे , सुर्ख सिंदूर लगाया मैने...!!
मरते मरते भी , गंगाजल नही शराब माँगी..!!
बड़ी तरकीबों से तेरा नाम भुलाया मैने...!!(11-Nov-2013)


पेशानी के पसीने को पानी समझ लिया...
मेरे चुप रहने को मेरी नादानी समझ लिया...
राहे उल्फ़त का जनाज़ा ज़रूर उठा था उस रात...
जब उदुन के बाशिन्दो को मैने "ज्ञानी" समझ लिया...!!(9-Nov-2013)


रोशनी के गर्म थपेड़े , आँख बंद कर लेने से थमे हैं कहीं???
कुछ पन्ने फाड़ लेने से जिंदगी की किताब बदली है कहीं??
कुछ नही बदलता...कुछ भी नही... सिवाय.....
रिश्ते..कुछ टीस के साथ ही सही..रिश्ते बदल ही जाते हैं....!!(29- August-2013)


ये जो उनी स्वेटर सी उलझी गमगीन तनहाईयाँ थी वीरान अंधेरों में दुबकी दुबकी..!!
इनसे कह दो की सरगोशियाँ मिली हैं हमें, इश्के-गरमाइयाँ मिली हैं हमें...!!(1-July-2013)


मैं बिक रहा हूँ टुकड़ा टुकड़ा होकर...
खरीददार मिले तो, बिना मोल बिक जाऊं..
बेखौफ समंदर तो हूँ मैं अविरल , अनंत...
तू इशारा कर तेरी पलकों में छिप जाऊं...!!!(3-May-2013)


देखो तो मेरे मकान की छत का एक कोना गायब है दोस्त...
शायद कल तूफान ज़ोरों से बहुत आया है...
अरे गायब तो वो मनी प्लांट की बेल और वो तुलसी का पौधा भी है ,
जो तब लगाया था जिस दिन देखा था उसे पहली बार..!!!(6 -Nov-2013)

उसके हिस्से से मेरी बदसलूकियाँ छीन कर , मैने उसे किसी और के नाम लिख दिया ....!!!!(25-March-2014)

Thursday, January 2, 2014

"Vidaai"

Jaan se bhi zyada tujhe pyar kiya hai maine...
Umr bhar isi din ka intzaar kiya hai maine....

Tu aaj ke din labo'n ki hansi kam na kar...
Meri gudiya! Aaj hargiz aankh nam na kar....

Khusiyo'n bhari ye raat, mubarak ho tujhe....
Naye jeewan ki shuru'aat, mubarak ho tujhe....

Tere baghair ab to ye ghar bhi paraaya hoga...
Ab is ghar mein bas teri yaad ka saaya hoga....

Maa-baap ye jeewan me ye din bhi aata hai....
Jigar ka tudka hi ek din door ho jata hai....

Naye rishton ki ye sauGaat mubarak ho tujhe....
Naye jeewan ki shuru'aat mubarak ho tujhe.....